Tuesday 8 January 2019

जमाने के बदलते रंग








जमाने के बदलते रंग ने
हमे सबसे दूर कर छोड़ा है.....
खुद से बतियाते है,
कभी कलम से
डरने लगे हैं रिश्तों से,इतना मजबूर कर छोड़ा है

हैरानी ये नही
की हमनें इंसानों से दूरी बना ली है
झुलसते भरोसे संग
फ़रिश्तों को भी हमने बीच रास्ते छोड़ा है

ना दर्द का मलाल
ना सुकून का खयाल
ऐसे पत्थर को न जाने क्यों
उस खुदा ने
अभी तक जिंदा छोड़ा है......

3 comments:

Unknown said...

Badlane do rang jamane ko...
Apne rang me bandh ke rakho jamane ko...

N.s. said...

Very deep thoughts....

N.s. said...

Very deep thoughts....

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