Health tips


शीर्षासन
शीर्षासन को योग शास्त्र में आसनोंका राजा कहते है।सभी आसनों में ये आसन श्रेस्ठ माना जाता है।मानव शरीर में कुल 435 प्रकार के स्नायु होते है।शीर्षासन से इन सभी स्नायुयोंको फायदा मिलता है।शरीर मे प्राणवायु का संचार बढ़ता है।शीर्षासन को वृक्षासन और कपालासन के नाम से भी जाना जाता है।

जानते है शीर्षसन क्या है,कैसे करते है और इसके फायदे क्या क्या है।

शीर्ष का मतलब होता है-सिर।यह आसन सिर के बल किया जाता है इसलिए इस आसन को शीर्षासन कहते है।यह आसन किसी भी ऋतु में,किसी भी जगह बड़ी आसानी से कर सकते है।सभी उम्र के लोगों के लिए यह आसन लाभदायी है।शीर्षासन करने से blood circulation और गुरुत्वाकर्षण दोनोंकी दिशा बदलती है।सिर के सभी अवयवों में खून का संचार ज़्यादा मात्रा में होने लगता है,इससे उनको मजबूती मिलती है।इस आसन से ज्यादा से ज्यादा फायदा पाना है तो जरूरी है कि यह आसन सही विधि के साथ किया जाए।

 शीर्षासन करने का तरीका
जमीन पर योगा मैट या कंबल बिछाए फिर उसपर बडासा तौलिया बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं।अब दोनों हाथों की उंगलियों को आपस मे सक्ति से जोड़ ले।अपने सिर को उस पर रखे।धीरे धीरे अपने पैरोंको ऊपर की और उठाये और इसे सीधा करने की कोशिश करे।साँस सामान्य रखे।शरीर का पूरा भार अब बाजुओं और सिर पर ले।कुछ देर इस स्थिति में रुक जाए।अब धीरे धीरे घुटनों को मुड़ते हुए पैरों को नीचें लेकर आये।



शीर्षासन करते समय इन बातों का ध्यान रखे.....

● शीर्षासन करते समय गर्दन पर ज्यादा भार न पड़े।

●शीर्षासन करते समय शरीर के किसी भी हिस्से पर ज्यादा तनाव महसूस हो रहा हो तो तुरंत शीर्षासन बंद करे और आराम करें।

● उच्च रक्तचाप, low BP,दिल की बीमारी इनसे पीड़ित व्यक्ति ये आसन ना करे।

●कमजोर नजर वाले जिनकी आँखों का नंबर 10 से ज्यादा है ऐसे लोक ये आसन ना करे।

●शीर्षासन करते समय आँखे बंद रखे।अगर आपने आँखे खुली रखी तो इसका आपकी आँखों पर बुरा असर हो सकता है।

● गर्भवती महिलायें ये आसन ना करे।

शीर्षासन के लाभ.....
शीर्षासन करने से पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियाँ उत्तेजित होती है।

शीर्षासन करने से खून का बहाव सिर की ओर ज्यादा होता है जिससे आपके मस्तिष्क की मांसपेशियाँ अधिक कार्यक्षम हो जाती है और याददाश्त बढ़ जाती है।

तणाव दूर करके दिमाग शांत करता है।

पाचनशक्ति बढ़कर कब्ज में राहत मिलती है।

इस आसन से फेफडों की कार्यशक्ति बढ़ जाती है।

शीर्षासन से हल्के अवसाद में राहत पा सकते है।

शीर्षासन करने से लिव्हर को शक्ति मिलती है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

गर्दन के स्नायु मजबूत बनते है।

ये आसन करने से चेहरे पर glow आता है।चेहरा आकर्षक और सुंदर दिखने लगता है।

शीर्षासन और हवा
शीर्षासन करते समय हवा का तेज बहाव आपकी ओर न आने पाएँ इसका विशेष ध्यान रखें।शीर्षासन करने से शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होती है और पसीना आने लगता है।ऐसे में आप तेज हवा के संपर्क में आये तो पसीना evaporate होने लगता है और आपको ठंड लग सकती है।इससे blood circulation में बाधा उत्पन्न हो सकती है जिससे कमर और पीठ में दर्द,चक्कर आना, मेरुदण्ड में दर्द होना इस तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है जिससे आप अपना balance खोकर गिर सकते हो।

जिस जगह हवा तेज बहती है वहाँ कोई भी आसन नही करना चाहिए।शीर्षासन करते समय तो इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहियें।जुखाम हो तो शीर्षासन करना बंद करे।नाक से साँस लेने में तकलीफ हो तो मुँह से साँस लेकर शीर्षासन ना करे।कोई भी आसन करते समय साँस नाक से ही ले,मुँह से साँस लेना हानिकारक हो सकता है।

●●●●●●●●●●●●●●●शीर्षासन
शीर्षासन को योग शास्त्र में आसनोंका राजा कहते है।सभी आसनों में ये आसन श्रेस्ठ माना जाता है।मानव शरीर में कुल 435 प्रकार के स्नायु होते है।शीर्षासन से इन सभी स्नायुयोंको फायदा मिलता है।शरीर मे प्राणवायु का संचार बढ़ता है।शीर्षासन को वृक्षासन और कपालासन के नाम से भी जाना जाता है।

जानते है शीर्षसन क्या है,कैसे करते है और इसके फायदे क्या क्या है।

शीर्ष का मतलब होता है-सिर।यह आसन सिर के बल किया जाता है इसलिए इस आसन को शीर्षासन कहते है।यह आसन किसी भी ऋतु में,किसी भी जगह बड़ी आसानी से कर सकते है।सभी उम्र के लोगों के लिए यह आसन लाभदायी है।शीर्षासन करने से blood circulation और गुरुत्वाकर्षण दोनोंकी दिशा बदलती है।सिर के सभी अवयवों में खून का संचार ज़्यादा मात्रा में होने लगता है,इससे उनको मजबूती मिलती है।इस आसन से ज्यादा से ज्यादा फायदा पाना है तो जरूरी है कि यह आसन सही विधि के साथ किया जाए।

 शीर्षासन करने का तरीका
जमीन पर योगा मैट या कंबल बिछाए फिर उसपर बडासा तौलिया बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं।अब दोनों हाथों की उंगलियों को आपस मे सक्ति से जोड़ ले।अपने सिर को उस पर रखे।धीरे धीरे अपने पैरोंको ऊपर की और उठाये और इसे सीधा करने की कोशिश करे।साँस सामान्य रखे।शरीर का पूरा भार अब बाजुओं और सिर पर ले।कुछ देर इस स्थिति में रुक जाए।अब धीरे धीरे घुटनों को मुड़ते हुए पैरों को नीचें लेकर आये।



शीर्षासन करते समय इन बातों का ध्यान रखे.....

● शीर्षासन करते समय गर्दन पर ज्यादा भार न पड़े।

●शीर्षासन करते समय शरीर के किसी भी हिस्से पर ज्यादा तनाव महसूस हो रहा हो तो तुरंत शीर्षासन बंद करे और आराम करें।

● उच्च रक्तचाप, low BP,दिल की बीमारी इनसे पीड़ित व्यक्ति ये आसन ना करे।

●कमजोर नजर वाले जिनकी आँखों का नंबर 10 से ज्यादा है ऐसे लोक ये आसन ना करे।

●शीर्षासन करते समय आँखे बंद रखे।अगर आपने आँखे खुली रखी तो इसका आपकी आँखों पर बुरा असर हो सकता है।

● गर्भवती महिलायें ये आसन ना करे।

शीर्षासन के लाभ.....
शीर्षासन करने से पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियाँ उत्तेजित होती है।

शीर्षासन करने से खून का बहाव सिर की ओर ज्यादा होता है जिससे आपके मस्तिष्क की मांसपेशियाँ अधिक कार्यक्षम हो जाती है और याददाश्त बढ़ जाती है।

तणाव दूर करके दिमाग शांत करता है।

पाचनशक्ति बढ़कर कब्ज में राहत मिलती है।

इस आसन से फेफडों की कार्यशक्ति बढ़ जाती है।

शीर्षासन से हल्के अवसाद में राहत पा सकते है।

शीर्षासन करने से लिव्हर को शक्ति मिलती है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

गर्दन के स्नायु मजबूत बनते है।

ये आसन करने से चेहरे पर glow आता है।चेहरा आकर्षक और सुंदर दिखने लगता है।

शीर्षासन और हवा
शीर्षासन करते समय हवा का तेज बहाव आपकी ओर न आने पाएँ इसका विशेष ध्यान रखें।शीर्षासन करने से शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होती है और पसीना आने लगता है।ऐसे में आप तेज हवा के संपर्क में आये तो पसीना evaporate होने लगता है और आपको ठंड लग सकती है।इससे blood circulation में बाधा उत्पन्न हो सकती है जिससे कमर और पीठ में दर्द,चक्कर आना, मेरुदण्ड में दर्द होना इस तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है जिससे आप अपना balance खोकर गिर सकते हो।
जिस जगह हवा तेज बहती है वहाँ कोई भी आसन नही करना चाहिए।शीर्षासन करते समय तो इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहियें।जुखाम हो तो शीर्षासन करना बंद करे।नाक से साँस लेने में तकलीफ हो तो मुँह से साँस लेकर शीर्षासन ना करे।कोई भी आसन करते समय साँस नाक से ही ले,मुँह से साँस लेना हानिकारक हो सकता है।

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● डिप्रेशन क्या है ?
    Depression  यानी के अवसाद, जब किसी व्यक्ति के व्यवहार में कोई बड़ा परिवर्तन आता है तो उसे मनोदशा कहते है और जब मनोदशा में विकार आता है तो उसे डिप्रेशन कहते है। ये जैसे आज कल common बात हो गयी है। दिन में कई बार हम सुनते है अपने आस पास के लोगो से की ,मैं थोड़ा depress हु , मुझे टेंशन है ,मैं दुखी हूं , परेशान हु , लेकिन जो छोटे-छोट problem या दुख तकलीफ है वह डिप्रेशन में नही आते। 
    Depression का मतलब है आंसू खत्म होने तक रोना ,हर पल उदास रहना , आहे भरना,किसी भी तरफ बे वजह देखते रहना,जब तक के आँखे थक न जाये क्योकि आप पलक झपकना भूल जाते है ,आप अपने आप को भूल जाते है ।

   Positive सोचने की और बेहतर result तक पहुचने की इंसान की capacity कम हो जाती है। उलझे सवाल और निराश करने वाले जवाब किसी इंसान को उस मोड़ पर ले जाते है जहा उम्मीद का हर दिया बुझ  जाता है ।नतीजे खतरनाक हो जाते है, ऐसे में जरूरत होती है सही वक्त पर सही इलाज की और अपनो का साथ-प्यार और अपनेपन की .....।

                                                       

● डिप्रेशन के कारण                                                                                              

Depression के कई कारण हो सकते है ,जैसे कि मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति , अपमान ,भय, office के कड़े नियम , आत्मविश्वास की कमी ,प्यार का अभाव इन वजहो से डिप्रेशन का शिकार हो सकता है ।कुछ लोग घर की समस्या जैसे कि गरीबी ,अशांति, पैसो की तंगी, आपसी झगड़े इन वजह से डिप्रेशन में जाते है। हर छोटी बात पर अधिक विचार करने लगते है । तो कुछ लोग अकेलेपन से ग्रासित होकर डिप्रेशन के चपेट में आ जाते है। अकेलापन  व्यक्ति के जीवन मे बहूत ही गलत प्रभाव डालता है। एक अकेला इंसान अपने खाली समय मे क्या क्या सोचता होगा ,कैसे कैसे विचार उसके मन मे आते होंगे ।यही सब  धीरे धीरे उसे डिप्रेशन की ओर धकेलता है।इसी के साथ कुछ लोग शारिरिक कमजोरी और रोगोंके कारण भी चिंतित रहते है और अपना संतुलन खो बैठते है और डिप्रेशन का शिकार बनते है। बेरोजगारी भी डिप्रेशन का एक और कारण है। बहोत से ऐसे छात्र है जो बडी कठिनाइयों से अपनी पढ़ाई पूरी करते है लेकिन उनको अच्छी नौकरी नही मिल पाती और वे डिप्रेशन का शिकार जो जाते है।।                                             

● डिप्रेशन के लक्षण                                                                               १. उदास या परेशान रहना ।                                                                                   २. बातो बातो में खुदको कोसना।                                                                            ३.रोज़ के कार्यो में मन न लगना।                                                                            ४. खुदको बेबस , अकेला महसूस करना।                                                                  ५. बात बात पर चील्लाकर या झल्लाकर जवाब देना।                                                ६.अकेले रहना ,अकेलेपन में रोना।।                                                                         ७.बहोत सोना या बिल्कूल  नींद न आना ।                                                                ८.कम खाना या बहुत ज्यादा खाना ।                                                                       ९. एकाग्रता की कमी होना।                                                                                    १०  मन में आत्महत्या के विचार आना।।                                                                    

● डिप्रेशन के प्रकार                                                                                  १. मेजर डिप्रेशन - किसीका साथ अचानक खत्म होना। कोई अपना जिसे आप सबसे ज्यादा चाहते हो उसकी अचानक से मौत हो जाना या उससे हमेशा के लिए बिछड़ना । ऐसी परिस्थिति का अचानक से सामना करना पड़ा और इंसान ये सहन ना कर पाया तो   इस प्रकार का डिप्रेशन उसे घेर लेता है ।                                                                  २. सायकोटिक डिप्रेशन - इस प्रकार के डिप्रेशन में इंसान वास्तविक जिन्दगीसे दूर होकर काल्पनिक चीजो में यकीन करने लगता है, उसे अनजानी आवाजे सुनाई देती है, वो खुद से ही बाते करता नजर आता है । मन उदास रहता है और व्यक्ति को ऐसे लगने लगता है जैसे सब कुछ खत्म हो गया है ।                                                                                    ३.मानसिक डिप्रेशन-अपनी सामान्य जिंदगी में इंसान बहुत अकेलापन महसूस करता है, उसे लगता है कि वह बहुत बुरा है सभी लोग उसके खिलाफ़ है, उसे कोई पसंद नही करता ,ऐसे में वह कोई भी खुशी Enjoy नही कर पाता।                                                            
● डिप्रेशन के उपाय                                                                                                 
बदलते lifestyle में डिप्रेशन की बीमारी आम हो रही है।बड़े बड़े शहरों से निकल कर यह बीमारी छोटे शहरों औऱ गावो तक पहुच गयी है ।,इस बीमारी का शिकार यूवा वर्ग ही नही बल्कि बुजुर्ग और छोटे बच्चे भी है।यह एक सामान्य सी दिखने वाली पर खतरनाक नतीजो तक ले जाने वाली बीमारी है ।जरूरत है इस पर वक़्त रहते ध्यान देने की और सही इलाज करने  की ।                                                                                                          डॉक्टरी इलाज के साथ ही अपनेपन की ज्यादा जरूरत होती है ,जो पीडित को जल्दी इससे बाहर आने में मदतगार साबित होती है।अपनो का प्यार ,दोस्तो का साथ इंसान को इससे उभरने में सहायता करता है। डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को अपनों के साथ की और प्यार की ज्यादा जरूरत होती है।                                                                                          
                                                       ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

 ● योगा हमारे प्राचीन हिंदू संस्कूति कि देन है।तब हमारे ऋषिमुनि योग ध्यान से अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत करते थे।अपने आत्मबल को मजबूत करते थे।उन्होंने योग साधना से अपने अंदर बहोतसी शक्तियां जागृत की थी।वह योग को एक प्रकार की तपस्या मानते थे।
     पहले के जमाने मे योग केवल ऋषि मुनि ही किया करते थे,लेकिन आजके जमाने मे हर कोई योगा जानता है और इससे होनेवाले लाभों को मानते भी है।योगा आज सब की पसंद बना है।मतलब पसंद बना है या जरूरत ये चर्चा का मुद्दा है,लेकिन आज कल बहोतसे लोग योगा करके खुदको fit रखने की कोशिश कर रहे है।योगा के बहोत सारे प्रकार है, जिससे हमे अलग अलग लाभ होते है।लेकिन सूर्यनमस्कार एकमात्र ऐसा योगा है जो सारे योगा के और fast exercise दोनों के लाभ देता है।
   डिप्रेशन में सूर्यनमस्कार बहोतही लाभदायी साबित होता है।इससे शरीर को ऊर्जा ओर vitamin D मिलता है।सूर्यनमस्कार सुबह खुले में उगते सूरज की ओर मुँह करके करते है। इसके कुल 12steps है।जिनका शरीर पर अलग अलग तरह से प्रभाव पड़ता है। 

●सूर्यनमस्कार के steps

1 प्रनामासना
सूरज की ओर मुँह करके दोनो हाथ जोड़कर खड़े रहिये।मन को रिलैक्स कीजिये।शांत मन से सामने उगते हुए सूरज को देखिये ।

2 हस्तउत्तानासन
अब गहरी सांस लेकर दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाये।कमर के ऊपर का हिस्सा पीछे की ओर झुकाए।गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाए।

3 हस्तपादासन
अब आपको आगे की ओर झुकते हुए साँस बाहर की ओर छोड़नी है।हाथों को धीरे धीरे कानों से लगते हुए पीछे की ओर ले जाना है।हाथों से जमीन को touch करे।घुटनों को एकदम सीधा रखें।कुछ क्षण इसी स्थिति में रहे।

4 अश्वसंचालासन
दोनो हाथ जमीन पर रखे।साँस अंदर की ओर लेते हुए दाये पैर को पीछे की ओर ले जाये।गर्दन को ऊपर की ओर उठाये।कुछ क्षण इसी स्थिति में रहे।

5 अधोमुखश्वानासन
साँस धीरे धीरे छोड़ते हुए बाए पैर को पीछे की ओर ले जाये।शरीर का पूरा भार हाथ के पंजों ओर पैरों के उंगलियोंपर हो।दोनो पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हो।गर्दन को नीचे अंदर की ओर झुकाए । 

6 अष्टांगनमस्कारासन
 इस स्थिति में धीरे धीरे साँस ले और अपने शरीर को जमीन के समांतर रखे।जैसे आप दंडवत प्रणाम करते हो उसी तरह।घुटने ,छाती और सर जमीन से जुड़े हो।छाती को थोड़ा ऊपर उठाये।

 6 steps के बाद फिर उन्ही 6 steps को उल्टे क्रम में दोहराना है।

7 भुजंगासन
साँस धीरे धीरे अंदर लेते हुए छाती को आगे की ओर खिंचे ।हाथो को जमीन पर ही रखिये ओर गर्दन को धीरे धीरे पीछे की ओर ले जाएं।घुटने जमीन से जुड़े हो और पैरों के पंजे खड़े हो।

8 अधोमुखश्वानासन
इस स्थिति में साँस धीरे धीरे छोड़ते हुए बायें पैर को पीछे की ओर ले जाएं।दोनो पैरों की एड़ियाँ परस्पर मिली हुई हो।गर्दन को नीचे अंदर की ओर झुकाए।यह स्थिति पांचवीं स्थिति के समान है।

9 अश्लसंचालासन
यह स्थिति चौथी स्थिति के समान होती है।दोनों हाथों को जमीन पर रखिए।साँस अंदर लेते हुए दाये पैर को पीछे की ओर ले जाएं।गर्दन को ऊपर उठाएं।

10 हस्तपादासन
यह स्थिति तीसरी स्थिति के समान है।आगे की ओर झुकते हुए साँस धीरे धीरे बाहर निकाले।हाथोंको कानों से लगाते हुए नीचे लेकर जाएं और हाथों से जमीन को छुए।घुटनों को सीधा रखें।

11 हस्तउत्तानासन
यह स्थिति दूसरी स्थिति के समान है।साँस धीरे धीरे अंदर लेते हुए दोंनो हाथों को और गर्दन को पीछे की ओर झुकाए।

12 प्रणामासन
यह स्तिथि पहली स्तिथि के समान रहेगी ।
सूर्यनमस्कार करने के बाद शवासन करे।

इन 12 steps से आप आसानी से सूर्यनमस्कार कर सकते हो।इन steps को क्रमबध्द रूपसे ही करना होता है।

सूर्यनमस्कार करते समय आप सूर्य भगवान के 12 नामोंका मन्त्र के साथ उच्चारण भी कर सकते है।12 steps के साथ 12 मन्त्र इस तरह से है........

ॐ सूर्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ मित्राय नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ खगाय नमः 
ॐ पुष्णे नमः
ॐ मारिचाये नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ सावित्रे नमः
ॐ आर्काय नमः
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः

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डिप्रेशन से बचने के आसान तरीके।
पने आप को आनेवाले हर मुश्किल हालात के लिये तैयार रखिए। खुदको समय दीजिये।सुख दुख को balance करना सीखिये। अगर आप छोटी छोटी बातोंका ध्यान रखेंगे तो इस भागदौड़ भरी जिंदगी में भी खुदको खुश और डिप्रेशन से दूर रख सकते हो।


Deppresion से बचने के तरीके
●बात करे , मदद माँगे
अगर आप उदास हो या किसी बात से परेशान हो तो वक्त रहते,इस बात को अपने परिजनों के साथ या friends के साथ share करे।छोटी छोटी बातें दिल में रखने से बाद में आपको ज्यादा तकलीफ हो सकती है।इससे अच्छा है कि आप इस पर खुलके बात करो,मदद माँगो।अगर आपके दिल में कुछ दर्द है तो अपनों से बाँटो।वैसे तो कह देने से दर्द खत्म नही होता,लेकिन जब इसका फैलाव एक दिल से दूसरे दिल तक हो जाता है तो उसका रंग बहोत हल्का हो जाता है।।इसलियें जरूरी है कि आप अपनोंसे बात करो।प्यार बाँटने से बेशक रिश्ते गहरे हो जाते है लेकिन दर्द बाँटने से वो और भी मजबूत हो जाते है।कभी कभी दर्द आपको अपनोंके और करीब लाता है।

●दोस्तोंसे जुड़े रहे
कहते है , दोस्तों से बड़ी और कोई दौलत नही होती।जो बात घरवालोंसे कहने से आपको डर या संकोच  महसूस होता है, वो बात आप आसानीसे दोस्तों को बता सकते हो।उनकी मदद माँग सकते हो।कभी आप उदास हो तो अकेले रहना ठीक नही।इससे आपकी तकलीफ बढ़ सकती है।आप दोस्तों के साथ समय बिताओ,उनसे बाते करो।हमेशा अपने दोस्तोंसे से जुड़े रहिए।

● आज में जिए.....
इंसान को अपने आज में जीना चाहिए।अगर आप अपनी पुरानी गलतोयों को याद करेंगे,खुदसे शिकवा करेंगे तो धीरे धीरे आप डिप्रेशन के करीब पहुँच जाएँगे।बिता हुआ कोई भी पल,आप बदल नही सकते हो।जो बित गया सो बित गया वो अपने बस में नही होता।तो क्या फायदा पुरानी बातों को सोचकर।आपको आनेवाले पल के बारे में सोचना चाहियें क्योंकी , आनेवाला पल बिल्कुल कोरे कागज की तरह होता है।उसपर आप अपनी मर्जी से लिख सकते हो।

● काम का tension ना ले
आपको अगर अपने कार्यालय में कोई तकलीफ है या आप तनाव महसूस कर रहे हैं तो आपको इसपर गम्भीरता से सोचना चाहिए।आपकी चिंता की वजह नौकरी है और आप वहाँ संतुष्ट नही हैं तो आपको ऐसी जगह काम नही करना चाहिए।ये चिंता आपको आगे जाकर डिप्रेशन का शिकार बना सकती है।जो आपको सुकून ना दे सके वो नौकरी किस काम की?

●अपने आप को समय दीजिये
हर रोज Office, घर, शहर और वही दिनचर्या आपके दिल और दिमाग पर बुरा असर डाल सकती है।इसलिये जरूरत है कि आप बीच-बीच में छुट्टी लेकर कही घूमने जाए।माहौल बदलते रहने से मन fresh हो जाता है।आपको खुदको समय देना चाहिए।

●म्यूजिक सुने
संगीत में बड़ी अलौकिक शक्ति होती हैं।अच्छा संगीत मन आनन्दित और शांत कर देता है।ये बात वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित हो चुकी है।जब भी आप उदास है ऐसा लगे तो संगीत सुनना चाहिए।लेकिन एक बात का ध्यान रखिये,जरूरत से ज्यादा गम भरे गाने ना सुने।इससे आप और भी उदास हो जाएंगे।हल्का फुल्का संगीत सुने।

●वक्त पर खाए और रोजाना व्यायाम करें
आपको अपने खान-पान पर खास ध्यान देना चाहिये।वक्त पर और संतुलित खाना खाने की आदत आपको सेहतमंद बनाती है।इससे मन भी खुश रहता है।इसके साथ ही रोज समय निकालकर व्यायाम भी करना चाहिए।आप दिन में किसी भी वक्त व्यायाम कर सकते हो, लेकिन सुबह का समय इसके लिए सही और ज्यादा फायदेमंद होता हैं। व्यायाम करने से शरीर में सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे hormones release होते हैं,जो दिमाग को स्थिर और शांत करते है।इससे शरीर मे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
आप अपने पसंद का कोई भी व्यायाम कर सकते हो...जैसे कि,
वॉकिंग
जॉगिंग
सायकलिंग
स्विमिंग

●पूरी नींद सोएं
अच्छी और पूरी नींद आपकी सारी थकान दूर कर देती है।रोजाना कम से कम 7 से 8 घंटोंकी नींद जरूरी होती है।अपनी नींद के साथ समझौता ना करे।आप कितने भी व्यस्त हो तो भी आपको समय पर सोना चाहिए।

●diary लिखने की आदत डालें
 हम अपने दिल की हर बात दूसरों को नही बता सकते।कभी कभी कुछ तो ऐसा होता हैं जो मन का मन में ही रह जाता हैं।ना हम किसीसे कह पाते है और नाही अंदर की तकलीफ सह पाते है।इस दुविधा से अगर बाहर आना हैं तो अपने अंदर के लेखक को जगाइए।diary लिखने की आदत डालिये।मन की वो हर बात आप अपनी diary में लिख सकते है।इससे आपका मन हल्का हो जाएगा और दिल पर कोई बोझ नही रहेगा।

● माफी माँगना और माफ करना सीखिये
हमारे बहोतसे दुःखों का कारण हमारे अंदर का अहंकार होता है।जो हम बेवजह पालते हैं।सबसे बेकार चीज अगर कुछ है तो वो यही है।हमे इससे बाहर आकर सोचना चाहिए।दूसरोंको माफ करना और जरूरत पड़े तो माफी माँगना अगर हम सिख जाए तो बहोतसी मुसीबते टल सकती है।


हमेशा खुश रहिये,हँसते रहिये......

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