Thursday, 10 January 2019

मजाक हवा कर गयी

आज हवाओं में न जाने क्या बात थी
जरासी आहट हुई और मैं घबरा गई.....

कुछ पत्तियाँ तेज हवासंग,मुझसे लिपट गयी
कुछ पल मैं भी जरा चकरा गयी.....

ये अहसासों की बात थी,ये अलग कहानी थी
टूटी बिखरी वो पत्तियाँ, शायद मुझमे सहारा पा गयी....

वो अंजान थी,बेखबर थी,मेरी दास्तान से
जानती न थी वो,हवाओं में मैं भी खो गयी.......

ढूंढ़ रही थी,अपने पैरों के निशान
अपना आशियाँ, जहाँ से थी बिछड़ गयी.....

कभी मैं भी अपने आप्पा की लाडली थी
कभी उनकी गोद मे सोई थी
आज फिर एकबार उनसे मिलने की आस दिल मे जाग गयी...

मैं देख रही थी,यहाँ वहाँ,जैसे कबूल मेरी दुआ हो गयी
पर ये बस वहम था,आहट कर, मजाक मुझसे हवा कर गयी......!!!

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