Monday 14 January 2019

पिता एक वरदान


पिता....एक ऐसा लब्ज है जो जुबान पर आते ही आँखों में अलगही चमक आ जाती है।दिल मे खुशी की लहर दौड़ जाती है।माथे पर लिखी किस्मतों की लकीरों पर नाज सा हो जाता है।खुशी का हर अहसास इस एक लब्ज में बंधा होता है।
पिता का साथ,प्यार और दुलार किसी वरदान से कम नही।मेरे लिए तो ये लब्ज ही मेरी दुनिया है।वो मेरे पास थे तब भी और आज नही है तब भी।
समझ ही नही आता उनको पाकर मैं सबसे किस्मतवाली लड़की बनी या उन्हें खोकर बदकिस्मती की आग में ज्यादा जली।
आज इस वक्त.....वो मेरे पास तो नही है,मगर कुछ तो ऐसा है जो मुझे हर पल,हर लम्हा संभाल रहा है।आज मैं जिंदा हूँ ये इसी बात का प्रमाण है कि वो भी है...मेरे पास,मेरे साथ।तभी तो इस जिस्म में जान अपना वजूद थाम पा रही है।साँसे चल रही हैं, दिल धड़क रहा है,जिंदगी महक रही है।
आज तक मैंने उन्हें हर रिश्ते में ढूंढा।हर गली,हर नुक्कड़ ,घर के हर कोने कोने में उनके निशान ढूंढ़ती रही.....वो यहाँ खड़े थे,वो वहाँ बैठते थे, वो इस जगह सोते थे,वो ऐसे बोलते थे,वो वैसे मेरी ओर देखते थे........ऐसी अनगिनत यादें.... उन यादों के साये नजर में भर से जाते हैं।इन सायों से गुजरकर कभी कभी मैं उनके पास जाती हूँ।खुदको छु लेती हूँ और यकीन आता है कि वो मेरे पास है।





जिंदगी के इस मोड़ पर कुछ नया सोचा, एक नई राह चुनी.......इस राह का ये पहला कदम मैंने उनकी याद को कलेजे से लगाकर बढ़ाया......ऐसा लगा कि वो मेरा हाथ पकड़कर मुझे एक बार फिरसे चलना सीखा रहे हैं।किसी मंच पर बोलना तो दूर मैंने तो खड़े रहने की भी कल्पना नही की थी,मगर आज मंच पर गयी भी और इतने अच्छे से बोली भी।





मुझे यकीन हैं, पिता पर लिखी मेरी ये पहली post और videos आपको पसंद आये होंगे।ये तो बस एक छोटीसी पहचान है।मैं अभी बहोत कुछ बताना चाहती हूँ।पिता के बारे में क्या अहसास है मेरे ,उन्हें आज भी कितना करीब महसूस करती हूँ..... ये सब मैं अपनी अगली post में बताऊँगी......

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