Tuesday 27 November 2018

शीर्षासन करने का तरीका और लाभ ।


शीर्षासन
शीर्षासन को योग शास्त्र में आसनोंका राजा कहते है।सभी आसनों में ये आसन श्रेस्ठ माना जाता है।मानव शरीर में कुल 435 प्रकार के स्नायु होते है।शीर्षासन से इन सभी स्नायुयोंको फायदा मिलता है।शरीर मे प्राणवायु का संचार बढ़ता है।शीर्षासन को वृक्षासन और कपालासन के नाम से भी जाना जाता है।

जानते है शीर्षसन क्या है,कैसे करते है और इसके फायदे क्या क्या है।

शीर्ष का मतलब होता है-सिर।यह आसन सिर के बल किया जाता है इसलिए इस आसन को शीर्षासन कहते है।यह आसन किसी भी ऋतु में,किसी भी जगह बड़ी आसानी से कर सकते है।सभी उम्र के लोगों के लिए यह आसन लाभदायी है।शीर्षासन करने से blood circulation और गुरुत्वाकर्षण दोनोंकी दिशा बदलती है।सिर के सभी अवयवों में खून का संचार ज़्यादा मात्रा में होने लगता है,इससे उनको मजबूती मिलती है।इस आसन से ज्यादा से ज्यादा फायदा पाना है तो जरूरी है कि यह आसन सही विधि के साथ किया जाए।

 शीर्षासन करने का तरीका
जमीन पर योगा मैट या कंबल बिछाए फिर उसपर बडासा तौलिया बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं।अब दोनों हाथों की उंगलियों को आपस मे सक्ति से जोड़ ले।अपने सिर को उस पर रखे।धीरे धीरे अपने पैरोंको ऊपर की और उठाये और इसे सीधा करने की कोशिश करे।साँस सामान्य रखे।शरीर का पूरा भार अब बाजुओं और सिर पर ले।कुछ देर इस स्थिति में रुक जाए।अब धीरे धीरे घुटनों को मुड़ते हुए पैरों को नीचें लेकर आये।



शीर्षासन करते समय इन बातों का ध्यान रखे.....

● शीर्षासन करते समय गर्दन पर ज्यादा भार न पड़े।

●शीर्षासन करते समय शरीर के किसी भी हिस्से पर ज्यादा तनाव महसूस हो रहा हो तो तुरंत शीर्षासन बंद करे और आराम करें।

● उच्च रक्तचाप, low BP,दिल की बीमारी इनसे पीड़ित व्यक्ति ये आसन ना करे।

●कमजोर नजर वाले जिनकी आँखों का नंबर 10 से ज्यादा है ऐसे लोक ये आसन ना करे।

●शीर्षासन करते समय आँखे बंद रखे।अगर आपने आँखे खुली रखी तो इसका आपकी आँखों पर बुरा असर हो सकता है।

● गर्भवती महिलायें ये आसन ना करे।

शीर्षासन के लाभ.....
शीर्षासन करने से पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियाँ उत्तेजित होती है।

शीर्षासन करने से खून का बहाव सिर की ओर ज्यादा होता है जिससे आपके मस्तिष्क की मांसपेशियाँ अधिक कार्यक्षम हो जाती है और याददाश्त बढ़ जाती है।

तणाव दूर करके दिमाग शांत करता है।

पाचनशक्ति बढ़कर कब्ज में राहत मिलती है।

इस आसन से फेफडों की कार्यशक्ति बढ़ जाती है।

शीर्षासन से हल्के अवसाद में राहत पा सकते है।

शीर्षासन करने से लिव्हर को शक्ति मिलती है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

गर्दन के स्नायु मजबूत बनते है।

ये आसन करने से चेहरे पर glow आता है।चेहरा आकर्षक और सुंदर दिखने लगता है।

शीर्षासन और हवा
शीर्षासन करते समय हवा का तेज बहाव आपकी ओर न आने पाएँ इसका विशेष ध्यान रखें।शीर्षासन करने से शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होती है और पसीना आने लगता है।ऐसे में आप तेज हवा के संपर्क में आये तो पसीना evaporate होने लगता है और आपको ठंड लग सकती है।इससे blood circulation में बाधा उत्पन्न हो सकती है जिससे कमर और पीठ में दर्द,चक्कर आना, मेरुदण्ड में दर्द होना इस तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है जिससे आप अपना balance खोकर गिर सकते हो।
जिस जगह हवा तेज बहती है वहाँ कोई भी आसन नही करना चाहिए।शीर्षासन करते समय तो इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहियें।जुखाम हो तो शीर्षासन करना बंद करे।नाक से साँस लेने में तकलीफ हो तो मुँह से साँस लेकर शीर्षासन ना करे।कोई भी आसन करते समय साँस नाक से ही ले,मुँह से साँस लेना हानिकारक हो सकता है।

1 comment:

Unknown said...

Good information about shirshasan.

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