जब सूरज की चंचल किरणे
धरती रे मिलने आती है
घूँघट ओढ़ के अंधकार का
धरती पर प्यार लुटाती है
तब तेरी याद मुझको
पल पल तड़पाती है......
जब नदियाँ की धाराये
सागर से मिलने जाती है
जाकर उसकी बाहोंमे
सब क्लेश भूल जाती है
तब तेरी याद मुझको
पल पल तड़पती है
जब अंधेरी रातों में चांदनी
चाँद से बाते करती है
सुनकर उसकी बातोंको
खुदसे ही शरमाती है
तब तेरी याद मुझको
पल पल तड़पती है......!!!
धरती रे मिलने आती है
घूँघट ओढ़ के अंधकार का
धरती पर प्यार लुटाती है
तब तेरी याद मुझको
पल पल तड़पाती है......
जब नदियाँ की धाराये
सागर से मिलने जाती है
जाकर उसकी बाहोंमे
सब क्लेश भूल जाती है
तब तेरी याद मुझको
पल पल तड़पती है
जब अंधेरी रातों में चांदनी
चाँद से बाते करती है
सुनकर उसकी बातोंको
खुदसे ही शरमाती है
तब तेरी याद मुझको
पल पल तड़पती है......!!!
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