Sunday 21 October 2018

याद

जब सूरज की चंचल किरणे
धरती रे मिलने आती है
घूँघट ओढ़ के अंधकार का
धरती पर प्यार लुटाती है
तब तेरी याद मुझको
पल पल तड़पाती है......
जब नदियाँ की धाराये
सागर से मिलने जाती है
जाकर उसकी बाहोंमे
सब क्लेश भूल जाती है
तब तेरी याद मुझको
पल पल तड़पती है

जब अंधेरी रातों में चांदनी
चाँद से बाते करती है
सुनकर उसकी बातोंको
खुदसे ही शरमाती है
तब तेरी याद मुझको
पल पल तड़पती है......!!!

No comments:

Post a Comment

गोड गोजिरं बालपण

गोड गोजिरं एक बालपण.... पावसाच्या सरीनी भिजलेलं... स्वप्न ठेऊन होडिमधे.... त्याच्यापाठी वाहणारे..... त्याला काळजी फक्त त्या होडीची, चि...