Sunday 21 October 2018

हम दिपक लाये है

हम दिपक लाये है
अँधेरा मिटाने के लिये,हम दिपक लाए है
पथ के सारे काँटे हमने फूल बनाये है....

घिसी-पिटी ये परंपरायें
इनको आज बदलना है
ज्यों भी होगी बात भले की
उनको ही अपनाना है
बनती किस्मत अपने कर्मों से
दुनिया को ये दिखाना है
आगे जो बढ़ चुके है,हम बने उन्ही के साये है.....
पथ के सारे काँटे हमने फूल बनाये है.....

आगे हम बढ़ चुके है
साथ हमारे सब आओ
अंधकार ये दूर करो
उजियाले को अपनाओ
कौन अपना,कौन पराया
पलभर ये सब भूल जाओ
उनको भी अपने साथ ले आओ जो बने पराये है....
पथ के सारे काँटे हमने फूल बनाये है..... !!!

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