कली कली खिली है
गली गली चली है
इनकी खुशबू......
हवाओंके साथ ये चल पड़ी
सारे जहाँ से मिलने
सबके साँसों में बसकर
याद सुहानी बनने
ये तो नशीली है,
बड़ी रंगीली है,
इनकी खुशबू.....
इसके लिए न् कोई भी है
अपना और पराया
कोई भी इनको साथ अपने
हमेशा ना रख पाया
ये तो मनचली है,
बड़ी जोशीली है,
इनकी खुशबू.......
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