Sunday 21 October 2018

खुशबू


कली कली खिली है
गली गली चली है
        इनकी खुशबू......

हवाओंके साथ ये चल पड़ी
सारे जहाँ से मिलने
सबके साँसों में बसकर
याद सुहानी बनने
ये तो नशीली है,
बड़ी रंगीली है,
       इनकी खुशबू.....

इसके लिए न् कोई भी है
अपना और पराया
कोई भी इनको साथ अपने
हमेशा ना रख पाया
ये तो मनचली है,
बड़ी जोशीली है,
       इनकी खुशबू.......

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