एक खामोशी आती है,एक खामोशी जाती है....
यूँ ना रूठा करो हमसे, हमारी मुस्कुराहट खो जाती है....!!!
कोई वजह नही रहती ,रोने की और मुस्कुराने की....
ये तनहा दर्द,हमे फिर खुदसेही नफरत होती जाती है.....!!!
हर एक साँस में,तुम्हारा ही अक्स शामिल है...
फिर भी न जाने क्यों, दिल को इतनी घबराहट हो जाती है....!!!
आँखों मे ये नमी सी है,होंठो पर हर बात थमी सी है.....
मुरझाई खुशियोंको फिर इनकी आदत होती जाती है....!!!
आपकी ये अदा भी,कितना कहर ढाती है....
इस अदा से भी जनाब , हमको उल्फत होती जाती है......!!!
No comments:
Post a Comment