Monday 8 October 2018

सूर्यनमस्कार से पाए डिप्रेशन में राहत।

     ● योगा हमारे प्राचीन हिंदू संस्कूति कि देन है।तब हमारे ऋषिमुनि योग ध्यान से अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत करते थे।अपने आत्मबल को मजबूत करते थे।उन्होंने योग साधना से अपने अंदर बहोतसी शक्तियां जागृत की थी।वह योग को एक प्रकार की तपस्या मानते थे।
     पहले के जमाने मे योग केवल ऋषि मुनि ही किया करते थे,लेकिन आजके जमाने मे हर कोई योगा जानता है और इससे होनेवाले लाभों को मानते भी है।योगा आज सब की पसंद बना है।मतलब पसंद बना है या जरूरत ये चर्चा का मुद्दा है,लेकिन आज कल बहोतसे लोग योगा करके खुदको fit रखने की कोशिश कर रहे है।योगा के बहोत सारे प्रकार है, जिससे हमे अलग अलग लाभ होते है।लेकिन सूर्यनमस्कार एकमात्र ऐसा योगा है जो सारे योगा के और fast exercise दोनों के लाभ देता है।
   डिप्रेशन में सूर्यनमस्कार बहोतही लाभदायी साबित होता है।इससे शरीर को ऊर्जा ओर vitamin D मिलता है।सूर्यनमस्कार सुबह खुले में उगते सूरज की ओर मुँह करके करते है। इसके कुल 12steps है।जिनका शरीर पर अलग अलग तरह से प्रभाव पड़ता है। 

●सूर्यनमस्कार के steps

1 प्रनामआसना
सूरज की ओर मुँह करके दोनो हाथ जोड़कर खड़े रहिये।मन को रिलैक्स कीजिये।शांत मन से सामने उगते हुए सूरज को देखिये ।

2 हस्तउत्तानासन
अब गहरी सांस लेकर दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाये।कमर के ऊपर का हिस्सा पीछे की ओर झुकाए।गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाए।

3 हस्तपादासन
अब आपको आगे की ओर झुकते हुए साँस बाहर की ओर छोड़नी है।हाथों को धीरे धीरे कानों से लगते हुए पीछे की ओर ले जाना है।हाथों से जमीन को touch करे।घुटनों को एकदम सीधा रखें।कुछ क्षण इसी स्थिति में रहे।

4 अश्वसंचालासन
दोनो हाथ जमीन पर रखे।साँस अंदर की ओर लेते हुए दाये पैर को पीछे की ओर ले जाये।गर्दन को ऊपर की ओर उठाये।कुछ क्षण इसी स्थिति में रहे।

5 अधोमुखश्वानासन
साँस धीरे धीरे छोड़ते हुए बाए पैर को पीछे की ओर ले जाये।शरीर का पूरा भार हाथ के पंजों ओर पैरों के उंगलियोंपर हो।दोनो पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हो।गर्दन को नीचे अंदर की ओर झुकाए । 

6 अष्टांगनमस्कारासन
 इस स्थिति में धीरे धीरे साँस ले और अपने शरीर को जमीन के समांतर रखे।जैसे आप दंडवत प्रणाम करते हो उसी तरह।घुटने ,छाती और सर जमीन से जुड़े हो।छाती को थोड़ा ऊपर उठाये।

 6 steps के बाद फिर उन्ही 6 steps को उल्टे क्रम में दोहराना है।

7 भुजंगासन
साँस धीरे धीरे अंदर लेते हुए छाती को आगे की ओर खिंचे ।हाथो को जमीन पर ही रखिये ओर गर्दन को धीरे धीरे पीछे की ओर ले जाएं।घुटने जमीन से जुड़े हो और पैरों के पंजे खड़े हो।

8 अधोमुखश्वानासन
इस स्थिति में साँस धीरे धीरे छोड़ते हुए बायें पैर को पीछे की ओर ले जाएं।दोनो पैरों की एड़ियाँ परस्पर मिली हुई हो।गर्दन को नीचे अंदर की ओर झुकाए।यह स्थिति पांचवीं स्थिति के समान है।

9 अश्लसंचालासन
यह स्थिति चौथी स्थिति के समान होती है।दोनों हाथों को जमीन पर रखिए।साँस अंदर लेते हुए दाये पैर को पीछे की ओर ले जाएं।गर्दन को ऊपर उठाएं।

10 हस्तपादासन
यह स्थिति तीसरी स्थिति के समान है।आगे की ओर झुकते हुए साँस धीरे धीरे बाहर निकाले।हाथोंको कानों से लगाते हुए नीचे लेकर जाएं और हाथों से जमीन को छुए।घुटनों को सीधा रखें।

11 हस्तउत्तानासन
यह स्थिति दूसरी स्थिति के समान है।साँस धीरे धीरे अंदर लेते हुए दोंनो हाथों को और गर्दन को पीछे की ओर झुकाए।

12 प्रणामासन
यह स्तिथि पहली स्तिथि के समान रहेगी ।
सूर्यनमस्कार करने के बाद शवासन करे।


इन 12 steps से आप आसानी से सूर्यनमस्कार कर सकते हो।इन steps को क्रमबध्द रूपसे ही करना होता है।

सूर्यनमस्कार करते समय आप सूर्य भगवान के 12 नामोंका मन्त्र के साथ उच्चारण भी कर सकते है।12 steps के साथ 12 मन्त्र इस तरह से है........

ॐ सूर्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ मित्राय नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ खगाय नमः 
ॐ पुष्णे नमः
ॐ मारिचाये नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ सावित्रे नमः
ॐ आर्काय नमः
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः


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