Thursday 20 December 2018

अहसास



 अहसास

दिन आता है रोज और चला जाता है....चुपचाप....कभी चंद खुशियोंकी महक लाता है तो कभी दर्द का खारा समंदर।खुशी की वजह एक ही होती है..  खुशी का नाम एकही होता है....हमेशा से ही,पर दर्द ....वो हर बार अलग अलग रूप में आता हैं।
हाँ.... पर हर बार दर्द मुझे उस मोड़ पर ले जाता है....जिसका नाम है.....आप्पा
और मैं उदासी की अँधेरी गलियारों में भटकती रहती हूँ।काश ये एक नाम मेरे पास होता ....मेरे साथ होता. ...तो दर्द में भी हम खुदको संभालते......
काश.....!
काश....!!
आज दिन तो रोजकी तरह खिल खिलाकर सामने आया....हमसे मिला....और अपने काम पर चला गया....हम भी अपना काम करने में लग गये।सब तो ठीक ही था।
हम सब काम निपटाकर बैठे ही थे,की फोन बजा.....
हमनें receive किया और बोले.....hello
बस....
हमने क्या सुना...क्या बोला.... कुछ समझ ही नही पाये..... बस इतना याद हैं..... की जब फोन रखा तो हमारी आँख भरी हुईं थीं।
वैसे फोन ससुराल के रिश्ते में से था।
फिर क्या.....
हम क्या कर रहे थे , क्या नही.....कुछ अहसास ही नही रहा।
जब भी हमारे साथ कुछ ऐसा होता है....तो सबसे पहले हम भाई से बात करते है।
बातें करते है....करते है और बस करते ही रहते है....
तब तक नही रुकते जब तक हमारा मन शांत नही होता.....
आज भी हमने बात की....और फिर चुप बैठ गए...
हम सोचते रहे.....ये रिश्ते होते क्या है.....बड़े लोग हमें कुछ भी बोल सकते है पर हमें चुप रहना पड़ता है और छोटे .....उनको समझना पड़ता है....संभालना पड़ता है।
हम अपने दिल की बात कब,कैसे और किससे करे।बेहिसाब सवालों के भँवर में दिन यु ही बीत गया।ना दिल को कोई शिकवा था और नाही किसीसे शिकायत....।
हम खुदसेही थोड़े नाराज थे।
दोपहर ....शाम.....रात कब हो गयी पता ही नही चला।
रात गहराई..….अंधेरों में और थोड़ी उदासियों में।समय बीत रहा था।वो कभी नही रुकता बस बीतता है।रुकती है तो बस यादें।जिनमें थमी होती है कुछ कहानियाँ और कुछ किस्से।
जो हमेशा रहते है....
हमारे जेहन में,
यादों के पन्नों पर........
हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में उनके निशान होते है।आज का किस्सा भी हमारे दिल मेँ गहराई तक उतर गया।
दिल टूटा थोड़ा....
थोड़े हम टूटे
खुदको फिर सँभाला ....
अब तो आदतसी हो गयी है।इतने रिश्ते निभाने है तो खुदको सँभालना आना ही चाहिए।ये बात हमने कब की दिल को समझाई है।
आज की याद भी वक्त के साथ थोड़ी धुंधली हो जाएगी,पर यादों के किताब में जुड़ जायेगी और ठहर जाएगी निगाहे उस वक्त पर,जो गुजर जाएगा लेकिन इस याद से कल भी हमारा वास्ता रहेगा।
सोचते सोचते......हमारा दिल और दिमाग कितने दूर निकल गए थे।रिश्तों को हम नही समझ पा रहे थे या रिश्ते हमे।ये बात समझ में नही आ रही थी।हम बस सोच में डूबे हुए थे और निंद आँखों से भागकर कोसो दूर जा चुकी थी।
क्या क्या सोच रहे थे.....
कितने सवालों से लड़ रहे थे.....
इतने में आवाज आयी...
हम सुन रहे थे....
धीरे धीरे हमारा मन शांत होता गया।
वो आवाज,रात के सन्नाटे में.....बस मेरे लिए ही थी।
वो आवाज थी....
दिल के धड़कने की.....
उनके दिल की.....
मेरा सारा ध्यान उस आवाज की ओर मूड गया।
धक.... धक.... धक
कितनी प्यारी थी वो धड़कन।
जैसे मुझे कह रही थी.…..सो जा अब,मैं जाग रही हूँ तेरे लिये।
मेरे मन की सारी बेचैनियों को उस आवाज से जैसे चैन मिल गया।
कुछ देर तक लग रहा था कि मैं अकेली जाग रही हूँ लेकिन इस पल लगा , नही....मेरे साथ उनके दिल की धड़कन भी जाग रही थी।मुझे समझा रही थी....मैं हूँ तुम्हारे साथ ....हमेशा.....हमेशा
मैं बस सुन रही थी....कितना कुछ कह रही थी वो आवाज.....वो सुनते सुनते मेरा मन सुकून से भरता गया।
मैं भी ना.... पागल ही हुँ।
मेरे पास क्या है.....ये कभी देखती ही नही....बस दूर भागती चीजों को थामने में लगी रहती हूँ।
हम हमेशा अल्फाजों में दिल का हाल ढूंढते है,लेकिन कभी कभी धड़कनों से भी बात करनी चाहिए।
मैं सुन रही थी....
कितना कुछ कह रही थी वो आवाज....
धक..... धक..... धक
साफ-साफ सुनाई दे रही थी।
दिल को सुकून सा मिल रहा था।
मन का सारा बोझ उतर गया था।
हल्का-हल्का महसूस हो रहा था।
धड़कनों में छिपा वो हर अहसास हम बस महसूस कर रहे थे।हमे समझा कर वो थक गए,थककर सो गए।मगर उनके दिल को चैन न था,वो हमें सुलाकर ही माना।
वो आवाज सुनते सुनते हम सो गए.......
फिर भी कुछ जाग रहा था....
अहसास
प्यार का
प्यारा..... प्यारा!!!

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